हरियाणा के गाँवों में अब इस नयी तबाही की आहट से ख़ौफ़ में हैं किसान

Gaon Connection | Jul 20, 2023, 11:58 IST |
#floods
हरियाणा के गाँवों में अब इस नयी तबाही की आहट से ख़ौफ़ में हैं किसान
हरियाणा के अंबाला के गाँवों में बाढ़ का पानी तो उतर गया है, लेकिन असली तबाही अब सामने आ रही है। धान के खेत मलबे से ढक गए हैं। अब किसानों को खरीफ की दोबारा बुवाई करनी पड़ रही है। ऐसे में अब किसानों की लागत और ज़्यादा बढ़ जाएगी।
इस्माइलपुर/चौड़मस्तपुर (अंबाला), हरियाणा। चारों तरफ़ सन्नाटा पसरा, हर जगह पर बस कीचड़ ही कीचड़ नज़र आ रहा है, लेकिन कुछ किसान अभी भी कीचड़ का मलबा हटाकर इस उम्मीद से देख रहे हैं कि क्या पता कोई धान कोई एक पौधा बच गया हो।

"हमें अब जीरो से शुरुआत करनी पड़ेगी," अपने खेत में कीचड़ में खड़े हरबंस सिंह ने गाँव कनेक्शन को बताया, जो कभी उनका धान का खेत हुआ करता था।

हरियाणा के अंबाला जिले के हरबंस सिंह के इस्माइलपुर गाँव में, हाल की बाढ़ से एक भी किसान नहीं बचा है। हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों सहित उत्तर भारत के कई राज्य भी प्रभावित हुए हैं।
अत्यधिक और लगातार बारिश के कारण कई नदियाँ कई फीट तक बढ़ गईं और अपने रास्ते में आने वाली हर चीज़ को बहा ले गईं। घग्गर नदी में बाढ़ के कारण इस महीने की शुरुआत में सतलुज यमुना लिंक नहर (एसवाईएल नहर) के किनारे टूट गए और इस्माइलपुर गाँव और इसके आसपास के इलाके जलमग्न हो गए।

366631-gaon-moment-22

अंबाला ज़िले का इस्माइलपुर हरियाणा के उन 416 गाँवों में से एक है जहाँ पानी भर गया है। राज्य के तेरह ज़िलों में बारिश हुई है और आधिकारिक आँकड़ों के मुताबिक बारिश और बाढ़ के कारण 29 लोगों की मौत की ख़बर है। सैकड़ों-हज़ारों हेक्टेयर भूमि डूब गई है। लेकिन आधिकारिक अनुमान अभी जारी नहीं किया गया है।


कभी हरे भरे खेतों पर मलबे की चादर बिछ गई है और वहाँ के किसानों के मुताबिक उनके घर भी नहीं बचे हैं। वे खाना पानी के बिना रहे हैं। सभी खेतों और ग्रामीणों के घरों में गाद भर गया है। सड़कें कई इंच फिसलन भरी कीचड़ से ढकी हुई हैं।

यह बुरी ख़बर है। पंजाब और हरियाणा को भारत के अनाज का कटोरा माना जाता है, और धान की फ़सलों को इतना अधिक नुकसान देश के लिए चिंता का विषय हो सकता है। क्षेत्र के किसानों ने कहा कि इस साल की शुरुआत में अत्यधिक और बेमौसम बारिश के कारण उनकी गेहूँ की फ़सल भी खराब हो गई थी। उनकी उम्मीदें धान और अब बाढ़ पर टिकी थीं।

इस्माइलपुर के साथ-साथ पड़ोसी चौड़मस्तपुर गाँव में उर्वरकों, कीटनाशकों, यहाँ तक कि मवेशियों के लिए चारे की बोरियां या तो बह गईं या पूरी तरह से बर्बाद हो गईं।

@GaonConnection

बाढ़ का प्रकोप भले ही कम हो गया हो और पानी कम हो गया हो, लेकिन यह अपने पीछे निराशा छोड़ गया है। कोई नहीं जानता कि कहाँ से शुरू करें।


“हम बस इतना जानते हैं कि हम खेतों को खाली नहीं रख सकते। अगर हमें खाना है, तो हमें फिर से धान लगाना होगा, ”जगदीश सिंह, जिन्होंने इस्माइलपुर में लगभग 4.5 एकड़ धान की खेती की थी, ने गाँव कनेक्शन को बताया।

Also Read: महाराष्ट्र में सूखे की इस वज़ह के बाद आकस्मिक योजना के लिए तैयार रहें ये राज्य

“मैंने अपने पूरे जीवन में इस तरह की बाढ़ नहीं देखी है। हमें तब पता चला जब मेरे पड़ोसी ने मुझे जगाया। चौड़मस्तपुर के 64 वर्षीय किसान मदन दास ने गाँव कनेक्शन को बताया, "ऐसी जगहें थीं जहाँ पानी पाँच फीट गहरा था।"


इस्माइलपुर और चौड़मस्तपुर में हज़ारों एकड़ ज़मीन पर धान की फ़सल लगी है, लेकिन घास का एक तिनका भी नज़र नहीं आता।

"हमें फिर से शुरुआत करनी होगी " हरबंस सिंह ने फ़िर से दोहराया। “सबकुछ ख़त्म हो गया, धान का एक भी दाना नहीं बचा। मैंने अपनी आठ एकड़ जमीन पर लगभग 50,000 रुपये ख़र्च किये होंगे। मैंने हाइब्रिड धान लगाया था। मैंने मज़दूरी, बीज़ और कई अन्य चीज़ों के लिए ख़र्च किया था " उन्होंने आगे कहा।

366632-gaon-moment-24

किसान नाराज़ हैं। “सरकार की ओर से किसी ने भी यह नहीं पूछा कि हम मर गए या ज़िंदा हैं। चाहे हमें पानी की ज़रूरत हो या खाने की, '' हरबंस सिंह ने तंज कसते हुए कहा। “यह केवल किसान यूनियन का धन्यवाद है कि जिनकी वजह से हमारे परिवार को खाना पानी मिल पाया है। उन्होंने गाँव में 2.5 लाख रुपये का राशन बांटा।”


वहाँ फिर से सन्नाटा छा जाता है क्योंकि उनमें से कुछ लोग धान की फ़सल के अवशेषों को उखाड़ रहे हैं।


जगदीश सिंह ने कहा, इस बार ट्रैक्टर फँस जाएंगे और किसी काम के नहीं रहेंगे। पास में, एक पीली जेसीबी खड़ी थी, शायद कम से कम कुछ गाद निकालने का इंतज़ार कर रही थी।

Also Read: पंजाब और हरियाणा के किसानों को बारिश से क्यों हुआ है ज़्यादा नुकसान, 2013 जैसी है बाढ़ की त्रासदी ?

“मज़दूरी दोगुना बढ़ गई है। बीज 3,000 रुपये से 4,000 रुपये प्रति किलो के बीच बिक रहे हैं। मुझे नहीं पता कि मुझे अपने खेत को साफ करने और फिर से बुआई शुरू करने के लिए कितना ख़र्च करना होगा। ” उन्होंने कहा। “लेकिन मुझे बोना ही होगा। मैं इस उम्मीद में नहीं बैठा रह सकता कि सरकार मुझे कुछ देगी। वे ऐसा कभी नहीं करते, ''उन्होंने आगे कहा।


किसानों को कुरुक्षेत्र, हिसार, करनाल और राज्य के अन्य स्थानों से बीज़ लाना पड़ता है।

“हमें इसकी कीमत 6000 रुपये प्रति किलोग्राम तक पड़ रही है। और यह आने जाने के ख़र्च के बिना है ” हरबंस सिंह ने कहा

गाँव कनेक्शन ने हरियाणा के अंबाला में जिन दोनों गाँवों का दौरा किया, वे बदहाल हैं। जगह-जगह खेतों में घुटनों तक कीचड़ और गाद जमा है। घरों को छोड़ दिया गया है। “हम उस सब से बाद में निपटेंगे। हमारा मुख्य ध्यान अब जल्द से जल्द रोपाई करने पर है, बाकी का भगवान भरोसे छोड़ दिया है,” जगदीश सिंह ने कहा।

“हमें पहले से कोई जानकारी नहीं थी। लगभग एक घंटे के समय में सब कुछ ख़त्म हो गया। अब भी, हम अनिश्चित हैं। दोबारा बाढ़ आ सकती है। लेकिन, हम बिना कुछ किए बैठे नहीं रह सकते '' हरबंस ने कहा।

(यह ख़बर पंकजा श्रीनिवासन ने लिखी और एडिट की है।)

Tags:
  • floods
  • haryana
  • kharif
  • paddy

Previous Story
Farmers in Rajasthan grow pomegranates that are in high demand in the Gulf

Contact
Recent Post/ Events