कश्मीर घाटी की महिलाओं से सीखिए ट्राउट मछली पालन से कमाई का तरीका

Gaon Connection | Nov 03, 2023, 11:09 IST |
trout
कश्मीर घाटी की महिलाओं से सीखिए ट्राउट मछली पालन से कमाई का तरीका
कश्मीर घाटी में ट्राउट मछली पालन एक बेहतरीन व्यावसायिक उद्यम बनता जा रहा है, यहाँ की 25 फ़ीसदी मछली फार्म महिलाएँ ही संभालती हैं, जिनमें से कई तो अभी 20 साल की हैं और सालाना छह-दस लाख तक कमाई कर रहीं हैं।
कुछ साल पहले अख़बार पढ़ते हुए ब्यूटी जान को कश्मीर में ट्राउट मछली पालन पर एक लेख मिला। अनंतनाग जिले के अकाड गाँव की 23 वर्षीय ब्यूटी ने इसके बारे में और जानना चाहा, क्योंकि उन्होंने सुना था कि दक्षिण कश्मीर में ट्राउट पालन एक अच्छा व्यवसाय बन रहा है।

उन्होंने इसके बारे में और जानकारी हासिल की और साल 2021 में अपनी तीन कनाल पुश्तैनी ज़मीन पर अपना खुद का ट्राउट मछली का तालाब बना लिया।

ब्यूटी अब अपने मछली फार्म से सालाना 10 लाख रुपये कमाती हैं और घाटी में युवाओं के लिए एक प्रेरणा भी बन रहीं हैं। जिनमें से कई लोग ट्राउट खेती को आजीविका के स्रोत के रूप में अपना रहे हैं और उनमें से कई युवा कश्मीरी महिलाएँ हैं।

इसकी पुष्टि जम्मू-कश्मीर के मत्स्य पालन विभाग के निदेशक मोहम्मद फारूक डार ने की, जिन्होंने कहा कि कश्मीर में बढ़ती संख्या में युवा सरकारी योजनाओं और सब्सिडी का लाभ उठा रहे हैं और मछली पालन को अपना रहे हैं।

368842-trout-fish-farming-young-women-farmers-jammu-kashmir-trout-fish-farming-profitable-business-1

निदेशक ने गाँव कनेक्शन को बताया, "25 प्रतिशत से अधिक मछली फार्म मालिक महिलाएँ हैं और उन्हें सरकार से समर्थन मिलता है।"


एक मछली किसान के रूप में अपनी यात्रा के बारे में बात करते हुए, ब्यूटी जान ने कहा, “जब मैंने शुरुआत में अपना फार्म शुरू किया तो मुझे 6,000 मछली के बीज मिले। फिलहाल अभी मेरे पास 18,000 मछली बीज हैं। पहले साल के दौरान, हमारी कोई कमाई नहीं हुई, क्योंकि एक ट्राउट को 300 ग्राम वजन तक पहुँचने में 12 महीने लग जाते हैं। लेकिन 2022 में, हमने लगभग 10 लाख रुपये कमाए, जबकि फ़ीड और अन्य ज़रूरतों की सालाना लागत तीन-चार लाख रुपये थी।

Also Read: आज भी कारगर है कश्मीर घाटी में आलू को सुरक्षित रखने का ये बरसों पुराना तरीका

उनके अनुसार, उन्हें सरकार से लगातार समर्थन और मत्स्य पालन विभाग से प्रशिक्षण मिला। ब्यूटी जान ने कहा, "मछली फार्म में मुझे 5.5 लाख रुपये का खर्च आया, जिसमें 40 प्रतिशत खर्च सरकारी सब्सिडी और बाकी मेरे परिवार की मदद से हो गया।"


अनंतनाग जिले में मछली पालन बढ़िया व्यवसाय बन गया हैं, जहाँ 300 से अधिक मत्स्य पालन चल रहे हैं। ट्राउट एक अत्यधिक लाभदायक मछली है जिसका वजन तीन किलोग्राम तक हो सकता है और अच्छी कीमत मिलती है।

घाटी में अनुकूल वातावरण के कारण कश्मीर में कई किसान ट्राउट पालन में लगे हुए हैं। ट्राउट को बढ़ने के लिए बहते पानी और 0 से 20 डिग्री सेल्सियस के बीच तापमान की ज़रूरत होती है।


आधिकारिक आंकड़ों से पता चलता है कि जम्मू-कश्मीर में ट्राउट मछली उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जो 2019 में 650 टन से बढ़कर 2023 में प्रभावशाली 2,000 टन हो गई है, जो पिछले तीन वर्षों में उल्लेखनीय 300 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाता है।

ब्यूटी जान के मुताबिक, प्रत्येक किलोग्राम ट्राउट मछली 400-500 रुपये में बिकती है। “हम कई डीलरों को मछली बेचते हैं, जो इन मछलियों को रेस्टोरेंट और बाज़ार में इन्हें ले जाते हैं। इसके साथ ही हमारे पास सीधे ग्राहक हैं जो हमसे मछली खरीदते हैं, ”उन्होंने आगे कहा।

Also Read: कश्मीर में वकील से बनी किसान, दूसरों को खेती के लिए कर रहीं हैं प्रेरित

उन्होंने कहा कि बहुत से लोग, पुरुष और महिलाएँ दोनों, अपना उद्यम कैसे शुरू करें, इस बारे में सलाह के लिए उनसे संपर्क करते हैं। ब्यूटी ने कहा, "शिक्षित युवाओं, विशेषकर महिलाओं को अपनी आकांक्षाओं को केवल सरकारी नौकरियों तक ही सीमित नहीं रखना चाहिए, बल्कि उन्हें अपना खुद का व्यवसाय स्थापित करने पर विचार करना चाहिए।"


ब्यूटी जान की तरह ही अनंतनाग जिले के पेथनू सालार की रहने वाली 20 वर्षीय एक अन्य युवा महिला इकरा जान ने मछली पालन की अपनी यात्रा शुरू की। उन्होंने भी मत्स्य विभाग मदद मिली।

368844-trout-fish-farming-young-women-farmers-jammu-kashmir-trout-fish-farming-profitable-business-3

अपने पास दो कनाल ज़मीन होने के कारण, इकरा ने ट्राउट पालन में कदम रखा। उन्होंने गाँव कनेक्शन को बताया, "हर एक किलोग्राम ट्राउट का दाम 400 से 500 रुपये के बीच है। हम ट्राउट की बिक्री से छह लाख रुपये की वार्षिक आय कमाते हैं।"


उन्होंने कहा, "मैं अपने खेत से काफी कुछ बचाने में कामयाब रही हूँ और अब हमारी सफलता की कहानी देखकर, मेरे चाचा ने भी अपना खुद का फार्म शुरू करने का फैसला किया है।" इकरा ने कहा, "जिस किसी के पास ज़मीन है और बहते पानी तक पहुँच है, वह खेत शुरू कर सकता है।"

पहलगाम की तीन बच्चों की माँ शाज़िया जान ने कहा, मछली फार्म चलाने का फायदा यह है कि यह एक फायदेमंद उद्यम होने के अलावा, महिलाएँ इसे आसानी से संभाल सकती हैं। उन्होंने आठ साल पहले एक ट्राउट किसान के रूप में अपनी यात्रा शुरू की थी।

Also Read: एक गाय से की थी डेयरी फार्म की शुरुआत, अब है लाखों में कमाई

“मेरी शादी 12 साल पहले हुई थी और कुछ सालों तक मैं घर पर ही रहती थी। आठ साल पहले मैंने अपने खुद के मछली फार्म का व्यवसाय शुरू करके अपने पति का समर्थन करने का फैसला किया था, और हम काफी मुनाफा कमा रहे हैं, ”उन्होंने कहा।


उन्होंने कहा, शाजिया जान का ट्राउट फार्म एक कनाल ज़मीन पर फैला है और वह इससे सालाना लगभग 6 लाख रुपये कमाती हैं।

368845-trout-fish-farming-young-women-farmers-jammu-kashmir-trout-fish-farming-profitable-business-4

“ट्राउट मछली फार्म महिलाओं को अपना घर छोड़े बिना संभाला जा सकता है। घर के पास के खेत से मुनाफा कमाया जा सकता है। और इसमें मदद के लिए सरकारी योजनाएँ भी चल रहीं हैं, ”उन्होंने आगे कहा।


कश्मीर के शेर-ए-कश्मीर यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर साइंसेज एंड टेक्नोलॉजी के शोधार्थी मोहम्मद जुनैद ने कहा कि ट्राउट का कश्मीर में बहुत बड़ा दायरा है क्योंकि यह ठंडे पानी की मछली है।

“हमारे यहाँ बहुत सारी ठंडे पानी की धाराएँ बहती हैं। इसे कहीं भी पाला जा सकता है जहाँ तापमान 20 डिग्री सेल्सियस से कम हो और बहता पानी हो,'' उन्होंने कहा।

“हमारे यहाँ बीज की कोई कमी नहीं है और सरकार इस क्षेत्र में रुचि रखने वालों को हर संभव सहायता प्रदान करती है। जो किसान अपना मछली फार्म शुरू करना चाहते हैं, उनके लिए कई योजनाएँ हैं," जुनैद ने गाँव कनेक्शन को बताया।

जम्मू और कश्मीर में एक हज़ार से अधिक निजी ट्राउट मछली फार्म हैं, ट्राउट लिद्दर, वांगथ, गुरेज, हमाल, लाम, सिंध, किशनगंगा, सुखनाग, दूधगंगा, एरिन, फिरोजपुर (टंगमर्ग), ब्रिंगी, अहरबल, हिरपोरा, दाचीगाम, कोकेरनाग, नारिस्तान, मधुमती और नाउबुघ में क्षेत्र की नदियों और नालों में भी ये पनपती हैं।

मत्स्य पालन विभाग के निदेशक मोहम्मद फारूक डार ने कहा, "प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना सहित कई योजनाएँ हैं जहाँ लाभार्थियों को मछली फार्म के निर्माण के लिए अच्छी सब्सिडी प्रदान की जाती है।"

Also Read: 4.5 एकड़ में 210 टन मछली उत्पादन, नई तकनीक से मछली पालन के लिए मिला सर्वश्रेष्ठ मछली पालक का पुरस्कार

Tags:
  • trout
  • fishfarming
  • jammu kashmir
  • WomenEmpowerment
  • Kisaan Connection

Previous Story
कही आप भी ड्रोन से कीटनाशकों का छिड़काव तो नहीं करते हैं

Contact
Recent Post/ Events