कोई भूखा न सोये इसलिए गुजरात के इस युवा ने शुरू किया 'भूख मिटाओ अभियान'

Gaon Connection | Jul 09, 2019, 08:12 IST |
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कोई भूखा न सोये इसलिए गुजरात के इस युवा ने शुरू किया ‘भूख मिटाओ अभियान’
वड़ोदरा (गुजरात)। मजाक-मजाक में शुरू हुआ सफर एक अभियान बन जाएगा दर्शन चंदन ने भी नहीं सोचा होगा। सात जून 2015 को पहली बार दर्शन चंदन अपने दोस्तों के साथ वड़ोदरा के एक बस्ती में गरीब बच्चों को खाना खिलाने पहुंचे थे। आज वह भूख मिटाओ अभियान से हर रविवार को 2000 हजार से ज्यादा गरीब बच्चों की भूख मिटाते हैं।

वड़ोदरा में एक जगह से शुरू हुआ यह सफर आज अकेले वड़ोदरा में ही 10 स्लम क्षेत्रों में जारी है। वड़ोदरा के अलावा दर्शन चंदन की ओर से शुरू किया गया यह अभियान धीरे धीरे पूरे गुजरात में अपनी जगह बना रहा है।

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दर्शन चंदन बताते हैं, "एक परिवारिक समारोह में होटल में हॉस्पिटैलिटी सही नहीं मिलने के कारण मैंने होटल मैनेजमेंट से खाने की शिकायत कर दी। होटल मैनेजमेंट ने माफी मांगते हुए फिर से बिल्कुल मुफ्त पूरे परिवार को खाना खिलाने का ऑफर दिया।"


वो आगे कहते हैं, "तब मैंने होटल मैनेजमेंट को यह सुझाव दिया कि वह इतने एमाउंट का खाना गरीब बच्चों में बांट दें और उनकी तस्वीर खींच के उन्हें भेंज दे ताकि यह पता चले होटल वालों ने सच में ऐसा किया है। होटल मैनेजमेंट ने बिल्कुल ऐसा ही किया। गरीब बच्चों में खाना बांटकर होटल वालों ने उन्हें तस्वीर भेंज दी। उस तस्वीर में उन बच्चों के चेहरे पर खुशी देखने को मिली, वहां से मैने यह अभियान शुरू करने का फैसला लिया।"

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छह लोगों से शुरू हुए इस अभियान से आज 600 वालंटियर्स जुड़ गए हैं। वालंटियर्स की संख्या बढ़ने की वजह से दर्शन चंदन ने अलग-अलग ग्रूप बांट दिए हैं । यह ग्रूप हर सोमवार को मिलता है और चर्चा करता हैं कि आने वाले रविवार को क्या किया जा सकता है। जो लोग इस अभियान में किसी तरह से अपना सहयोग देना चाहते हैं यह वालंटियर्स उनसे संपर्क करने की भी कोशिश करते हैं।


सारे वालंटियर्स एक दूसरे से वहाट्सएप पर जुड़े हुए हैं। यह हर रविवार को 11 बजे अपना कार्यक्रम शुरू करते हैं। बच्चों को मनोरंजक खेल खेलाते हैं, फिर शिक्षा से जुड़ी हुई सिनेमा दिखाते हैं। पढ़ाई के लिए बच्चों की काउंसिलिंग करते हैं और फिर खाने को लंच देते हैं। बच्चे और वालंटियर्स साथ बैठ कर एक साथ लंच खाते है ताकि बच्चों में कोई हीन भावना न आए।

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दर्शन बताते हैं वह इस अभियान में मदद करने वालों से कहते हैं कि वह पैसे न दे केवल जरूरत के सामानों से मदद करें। वह किसी से भी किसी भी तरह का आर्थिक मदद नहीं लेते हैं।


दर्शन के मुताबिक उन्होंने 100 से अधिक बच्चों का स्कूल में एडमिशन कराया है ताकि वह अच्छी पढ़ाई कर सकें। दर्शन कहते हैं कि लोग उनके इस अभियान को नोटिस कर रहे हैं यह खुशी देता है। हम सरकार या सरकारी कार्यालयों का इंतजार नहीं कर सकते हैं कि वह हमारे लिए कुछ करें।हमें समाज को बदलने के लिए खुद आगे आना होगा। हम सभी को व्यक्तिगत तौर पर समाज के लिए कुछ न कुछ करने की जरूरत है। समाज में बदलाव सबके सहयोग से आएगा।

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