बच्चों का बड़ी कंपनियों पर 'प्लास्टिक-सत्याग्रह': 20 हज़ार प्लास्टिक-लिफ़ाफ़े कंपनियों को वापस भेजे

Gaon Connection | Jul 06, 2018, 05:35 IST |
ईको-फ्रेंडली (पर्यावरण अनुकूल) पैकेजिंग की मांग करते हुए, बच्चों ने ब्रिटैनिया, नेसले, आईटीसी, कैडबरी और नाबाटी के प्रबंधकों को सम्बोधित किया और लिखा--
तूतुकुड़ी (तमिलनाडु)। हर रोज़ अपने पसंदीदा बिस्किट्स, चोकोलेट्स, नूडल्स और अन्य पैकेज्ड भोजन को खाकर उनकी प्लास्टिक की थैलियों को खेल-खेल में जहाँ-तहाँ फ़ेक देने वाले बच्चे अब उनको इकठ्ठा करने में जुटे हैं।

सुन्दर बन्दरगाह और मोतियों के लिए मशहूर तूतुकुड़ी के बच्चों ने अपने शहर को प्लास्टिक से बचाने के लिए एक महत्वपूर्ण पहल की है। तमिलनाडु के तूतुकुड़ी जिले के सुब्बिआ विद्यालयम में पढ़ने वाली 360 छात्राओं ने 15 दिन तक अपने पसंदीदा खाद्य उत्पादों के पैकेट्स को इकठ्ठा किया और फ़िर बड़े ही दिलचस्प तरीके से 20 हज़ार पैकेट्स को वापस निर्माता कंपनियों को भेज दिया।

ईको-फ्रेंडली (पर्यावरण अनुकूल) पैकेजिंग की मांग करते हुए, बच्चों ने ब्रिटैनिया, नेसले, आईटीसी, कैडबरी और नाबाटी के प्रबंधकों को सम्बोधित किया और लिखा--

"डिअर मैनेजर अंकल, आपका उत्पाद हम सब के बीच काफी पसंद किया जाता है। हम इसके स्वाद और गुणवक्ता से बहुत खुश हैं। लेकिन प्लास्टिक से बने इसके पैकेट से नहीं जो हमारे भविष्य और आने वाली पीढ़ियों के लिए घातक है। इसलिए हमने यह फैसला किया है कि हम इस्तेमाल के बाद आपके उत्पादों के प्लास्टिक-थैलियों को इकठ्ठा कर के आप तक पहुचाएंगे ताकि आप उन्हें सुरक्षित और ईको-फ्रेंडली तरीके से नष्ट कर सकें। कृपया अगली बार से ईको-फ्रेंडली पैकेट्स में अपने उत्पाद हम तक पहुचाएं और हमें प्लास्टिक पैकेट्स खरीद कर दोषी महसूस करने से बचाएं।"

5 जुलाई को सुब्बिआ विद्यालयम, तूतुकुड़ी में प्लास्टिक अवेयरनेस प्रोग्राम आयोजित किया गया। इसमें कक्षा 6 की बालिकाओं ने पंद्रह दिनों तक जो प्लास्टिक इकठ्ठा किया था उसे विद्यालय प्रबंधन ने उनकी कंपनियों के अनुसार अलग-अलग डब्बों में पैक किया और डब्बों को वापस कंपनियों के पास भेज दिया है। इस बात की जानकारी देते हुए, तूतुकुड़ी के नगर निगम आयुक्त और आईएएस, डॉ एल्बी जॉन वर्घीस ने प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट रूल 2016 के सेक्शन-9 का हवाला देते हुए कंपनियों को भेजे गए नोटिस में लिखा है, "आप अपने उत्पादों की प्लास्टिक थैलियों को इस नोटिस के मिलने के 2 महीने के भीतर इकठ्ठा करें और उनका ईको-फ्रेंडली तरीके से निस्तारण करने का बेहतर ऐक्शन प्लान बनाएं।"

"20 हज़ार प्लास्टिक-लिफ़ाफ़े बहुत हैं पर्यावरण को दूषित करने के लिए। इन बच्चों ने 15 दिन में इतने लिफ़ाफ़े इकट्ठे कर वापस भेजे हैं तो हम कंपनियों से जल्द ही प्रतिक्रिया की उम्मीद करते हैं," उन्होंने गाँव कनेक्शन को फ़ोन पर बताया।

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नोटिस में, प्लास्टिक थैलियों को कंपनियों तक पहुंचने में आई 500 रूपए की लागत का भुगतान उनकी कंपनियां विद्यालय को करेंगी, इस का ज़िक्र भी है।

"स्कूल में पर्यावरण के बारे में पढ़ कर और दुनिया-भर में हो रहे पर्यावरण-प्रदूषण के बारे में जानकर हमने सोचा कि यदि किसी ने पहल नहीं की तो प्लास्टिक के बढ़ती मात्रा शहर को प्रदूषित ही करती जायेगी," नवनित्रा (12 वर्ष) ने कहा।

"हम सबको रेडीमेड, पैक्ड खाना पसंद है लेकिन जिन प्लास्टिक की थैलियों में वह हम तक पहुंचाया जाता है वह बिल्कुल नहीं," अर्चना (13 वर्ष) ने कहा।

वास्तव में इस सोच के पीछे बच्चों को प्रेरित करने वाले विद्यालय-प्रशासन की प्रधानाध्यापिका, शांतनि कौशल बताती हैं, "हमें बच्चों से इतने सकारात्मक सहयोग की उम्मीद भी नहीं थी। 15 दिन पहले हमने उन्हें प्लास्टिक की थैलियाँ इकट्ठी करने के लिए बोला था और सोचा था कि एक महीने के बाद हम वह सब थैलियां उन्हें बनाने वाली कंपनियों को भेजेंगे लेकिन 15 दिन में ही अधिक प्लास्टिक के कवर इकठ्ठा हो जाने के कारण हमें यह जल्दी करना पड़ा। अब इस प्लास्टिक मैनेजमेंट प्रोग्राम में विद्यालय के सभी कक्षाओं के बच्चे शामिल हो रहे हैं।"

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