ये किसान गरीबों में भी मुफ्त बांटता है उन्नत बीज

Bidyut Majumdar | Nov 14, 2019, 02:20 IST |
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प्रगतिशील किसान प्रकाश रघुवंशी द्वारा विकसित अधिक पैदावार वाले देसी बीजों पर अधिकार के लिए निजी बीज कंपनियां मुंहमांगी कीमत देने को थीं तैयार
  • गेहूं, सरसों, अरहर, समेत कई किस्में विकसित कर चुके हैं प्रकाश सिंह रघुवंशी
  • 70 प्रतिशत रोशनी चली गई लेकिन प्रयोग अभी भी जारी, अपने पूरे परिवार को किसान बनाना चाहते हैं प्रकाश सिंह रघुवंशी
  • इस उन्नतशील किसान को राष्ट्रपति कर चुके है सम्मानित, देशभर के किसानों को करते हैं बीज दान
लखनऊ। जब किसान कर्ज़ में हो और ज़मीन गिरवी पड़ी हो, तो हो सकता है एक बार हालात से समझौते के लिए उसका मन डोल जाए, लेकिन किसान प्रताप सिंह रघुवंशी ने निजी बीज कंपनियों से अपने अनुभव और हुनर की बोली नहीं लगाई।

वाराणसी के तड़िया गाँव में रहने वाले उन्नतशील किसान प्रकाश सिंह रघुवंशी ने अपने प्रयोगों और वर्षों की मेहनत से कई उन्नत किस्म के देसी बीज तैयार किये हैं, वो आज के बदलते मौसम के हिसाब से किसानों के लिए काफी उपयोगी हैं, ये बीज किसान रघुवंशी किसानों को मुफ्त में बांटते हैं और उन्हें खुद के बीज तैयार करने का प्रशिक्षण भी देते हैं।

"मेरी जिंदगी का कोई भरोसा नहीं, मैं चाहता हूं कि ये हमारी तकनीक किसानों के काम आए। हमारे दो बीज पेटेंट हो चुके हैं, तो तमाम प्राइवेट कंपनियां आगे-पीछे भाग रही हैं कि उन्हें बीज उगाने का अधिकार दे दूं, लेकिन मेरे द्वारा विकसित बीजों पर किसानों का ही अधिकार रहेगा। अगर सरकार बढ़ावा दे तो हम बीजों को फ्री में दे देंगे," उन्नतशील किसान रघुवंशी ने गाँव कनेक्शन से फोन पर कहा।

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प्रकाश सिंह रघुवंशी के खेतों में दूर-दूर से लोग खेती-किसानी में उनके द्वारा किए जा रहे प्रयोगों को देखने आते हैं।

गेहूं, धान, सरसों, अरहर आदि की अधिक पैदावार वाली देसी किस्में विकसित करने पर प्रकाश सिंह रघुवंशी को कई बार राष्ट्रपति से पुरस्कार मिल चुके हैं, उनके इस प्रयोग को नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन का समर्थन भी मिल रहा है।

बढ़ती लागत और कम मुनाफे परेशान किसानों को सलाह देते हुए प्रकाश सिंह रघुवंशी कहते हैं, "किसान समूह बनाकर बीजों की मार्केटिंग करें। किसान बीज बनाए और अपना रेट खुद लगाए। कई किसान ऐसा कर भी रहे हैं। एक बार किसान रोजगार पा जाएगा तो नौकरी की तरफ मुड़ के भी नहीं देखेगा।"

शुरू में बीमारी की वजह से अपने आंखों की रोशनी खोने के बाद कक्षा नौ तक ही पढ़ाई कर पाने वाले किसान रघुवंशी ने खेती में प्रयोग जारी रखे। अपनी उन्नत खेती की यात्रा के बारे में बताते हुए कहते हैं, "दशवीं की परीक्षा के तीन पेपर तो बहुत अच्छे गए, लेकिन उसके बाद हम पेपर ही नहीं दे पाए, और आगे की पढ़ाई नहीं कर सके। इसके बाद हमने खेती की ओर रुख किया और प्रयोग करने शुरू किए।"

जिस तरह से खेती-किसानी की लगन प्रकाश सिंह रघुवंशी को विरासत में मिली, वैसे ही वह अपने बेटों को भी वो उन्नतशील किसान बनाना चाहते हैं। यही नहीं, अपने पौत्र को भी अभी से ही खेती-किसानी की ट्रेनिंग देने लगे हैं।

"हमारे पिता जी प्राइमरी स्कूल के अध्यापक थे, लेकिन उन्नत किस्म की खेती करते थे। उनका कृषि विवि या उन्नत खेती करने वाले किसानों से मिलना-जुलना होता था। उनकी रुचि थी नए-नए बीज लाना, नए-नए किस्म की खेती करने में थी। देखते-देखते हमारे मन में भी आया कि कुछ नया काम करें किसान होकर," प्रकाश सिंह रघुवंशी बताते हैं, "मेरी आंख 70 प्रतिशत तक खराब हो चुकी है, अब मेरा बड़ा बेटा सीख चुका है, खेती के प्रयोगों को वो ही आगे बढ़ा रहा है। मैं अपने पौत्र को भी खेतों में लेकर जाता हूं, वो भी सीख रहा है।"

इस उन्नतशील किसान द्वारा विकसित बीजों की किस्मों का नाम 'कुदरत' से शुरू होता है, क्योंकि उनका कहना है कि ये नेमत हमें प्रकृति ने दी है तो उसी के नाम से बीजों को विकसित करेंगे।

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देश भर से लोग खेती-किसानी की बारीकियों को सीखने के लिए प्रकाश सिंह रघुवंशी के घर पहुंचते हैं। यहां आने वाले हर किसान को मुफ्त में उपलब्ध करवाते हैं उन्नत बीज।

प्रकाश सिंह रघुवंशी अपने घर पर आने वाले हर किसान को अपने द्वारा विकसित किए गए बीज मुफ्त में देते हैं। वो किसानों को बीज बनाकर उन्हें बेचने की सलाह देते हैं। साथ ही, बीज बनाकर वह खुद भी बेचते हैं।

आज युवा खेती-किसानी से दूर भाग रहे हैं, प्रकाश सिंह रघुवंशी अपने पूरे परिवार को किसान बनने की ट्रेनिंग दे रहे हैं। "मैं कभी भी अपने बच्चों को नहीं सिखाऊंगा कि नौकरी करो, पूरे देश के किसानों के बच्चों से कहूंगा कि जैविक उत्पादन करो," किसान प्रकाश सिंह रघुवंशी कहते हैं।

वर्ष 2019 में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने किसान प्रकाश सिंह रघुवंशी को लाइफ टाइम अचीवमेंट पुरस्कार से सम्मानित किया। यही नहीं, रघुवंशी वर्ष 2018 में ट्रेनी आईएएस अधिकारियों को लाल बहादुर शास्त्री ट्रेनिंग संस्थान में ट्रेनिंग देने भी जा चुके हैं।

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प्रकाश सिंह रघुवंशी को खेती-किसानी में अनुसंधान के लिए सम्मानित करते पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम।

किसान रघुवंशी के जीवन में उनकी धर्मपत्नी का भी बड़ा योगदान रहा, उनके बारे में वह बताते हैं, "जब हम बाहर से बीज मंगाते थे, तो उनकी देखभाल आदि की पूरी जिम्मेदारी वही उठाती थीं, वो ट्रेनिंग सेंटर बनाना चाहती थीं," आगे कहते हैं, "वो कहती थीं-अगर ये ज्ञान आगे दे देंगे तो आप का ज्ञान चलता रहेगा, लेकिन आज वो नहीं है इस दुनिया में। बीवी के इलाज में हम कर्ज़ में भी दब गए।"

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