बिहार बाढ़: बाढ़ पीड़ितों की मदद करने वाले पीली टी-शर्ट पहने ये लड़के कौन हैं ?

Mithilesh Dhar | Jul 29, 2019, 06:35 IST |
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मधुबनी/सीतामढ़ी (बिहार)। बिहार में लगभग एक करोड़ लोग बाढ़ की चपेट में हैं। 100 से ज्यादा लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। बहुत से लोग बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए आगे भी आ रहे हैं। ऐसी ही युवाओं की एक टोली है मिथिला स्टूडेंट यूनियन। पीली टी-शर्ट पहने ये युवा गले तक भरे पानी में जाकर लोगों तक मदद पहुंचा रहे हैं। इनकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर खूब शेयर की जा रही हैं।

हम मधुबनी के बिस्फी प्रखंड के गांव जानीपुर के लिए निकले थे। यह गांव शहर से लगभग 50 किमी की दूरी पर है। गांव के अन्दर जाने के लिए कोई साधन नहीं था। सड़कें बह चुकी थीं, चारों ओर पानी ही पानी था। हम भी नहीं समझ पा रहे थे कि गांव में कैसे पहुंचा जाये। न तो वहां कोई बोट थी और न ही एनडीआरएफ की टीम।

तभी हमें वहां कुछ लोग दिखे जो एक नाव के सहारे बोरियों में भरे खाने का सामान बाढ़ पीड़ितों तक पहुंचाने की तैयारी कर रहे थे। ये मिथिला स्टूडेंट यूनियन के लोग थे। खाने का पैकेट सिर पर लादकर नाव तक पहुंचा रहे थे।

मिथिला स्टूडेंट यूनियन के सेनानी बिहार के बाढ़ प्रभावित 4 जिलों में बाढ़ पीड़ितों की मदद कर रहे हैं। खाना पहुंचा रहे हैं, कैम्प लगाकर इलाज करवा रहे हैं।

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मिथिला स्टूडेंट यूनियन वालंटियर. (फोटो- अभिषेक वर्मा)

ये संगठन कैसे काम करता है, इनमें काम करने वाले लोग कौन होते हैं, इन सबके के बारे में हमें संगठन के महासचिव आदित्य मोहन झा ने बताया। वे कहते हैं, "हम क्षेत्र और छात्र की बार करते हैं। हमारा पूरा संगठन मिथिला के विकास के समर्पित है। हम समय-समय पर छात्रों के हितों के लिए आन्दोलन करते हैं, उनके हक की लड़ाई लड़ते हैं।"



बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में मिथिला स्टूडेंट यूनियन के सैकड़ों वॉलेंटियर दिन रात काम कर रहे हैं। राहत सामग्री में भारी पैसा खर्च होता है। ऐसे में यह सवाल भी उठता है कि इतने पैसों की व्यवस्था कैसी होती है, इस बारे में आदित्य कहते हैं, "हम क्राउड फंडिंग के जरिये पैसे की व्यवस्था करते हैं। इसके अलावा हम जहां काम करते हैं भीक्षा मांगकर खाने पीड़ितों तक खाना पहुंचाते हैं। हमारा पूरा काम ही लोगों की मदद पर निर्भर है। इसके अलावा जो लोग हमारे साथ काम करते हैं वे अपनी इच्छा से हमसे जुड़ते हैं और हम उन्हें किसी तरह का मेहनताना नहीं देते।"

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मिथिला स्टूडेंट यूनियन के लोग लोगों को खाना देते हुए. (फोटो- अभिषेक वर्मा)

उत्तर बिहार के 13 जिलों में अभी भी लाखों लोग बाढ़ की चपेट में हैं। बाजार और सड़कों से लोगों का सम्पर्क टूटा हुआ है। लोगों के पास जो भी खाने का सामान था वो सब पानी में बह चुका है। सरकारी मदद हर जगह पहुंच नहीं पा रही, ऐसे में छात्रों की ये टीम बाढ़ पीड़ितों को जीवन देने का काम कर रही है।

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मिथिला स्टूडेंट यूनियन के कैम्प में पीड़ितों का इलाज करते डॉक्टर

मिथिला स्टूडेंट यूनियन के बिहार प्रभारी प्रिय रंजन पांडेय कहते हैं, " हमारी टीम जहां भी है वहां कोशिश कर रही है कि लोगों तक मदद पहुंचे। जहां ज्यादा पानी है, जहां भारी सामान नहीं पहुंच सकता है वहां हम लोग सूखा सामान जैसे चूड़ा, गुड, सत्तू, दालमोठ और बिस्किट आदि पहुंचा रहे हैं। जहां कमर तक पानी है वहां हम पूड़ी सब्जी या रोटी सब्जी भेज रहे हैं। लोग जो कुछ भी देते हैं हम उसे जरुरतमंदों तक पहुँचाने की कोशिश करते हैं।"

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बाढ़ पीड़ितों के लिए खाना लेकर जाते मिथिला स्टूडेंट यूनियन के सेनानी. (फोटो- अभिषेक वर्मा)

दिल्ली में पढ़ाई कर रहे मुरारी वत्स इस टीम के साथ पिछले दो महीने से जुड़े हैं। पहले वे टीम के साथ मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार से पीड़ित बच्चों को मदद पहुंचा रहे थे। फिर बाढ़ आई तब वे टीम के साथ ही मधुबनी आ गये और बाढ़ पीड़ितों की मदद कर रहे हैं।

मुरारी कहते हैं, " स्थिति ऐसी है कि पता नहीं कितने लोगों की मौत हुई है, पता नहीं कितने घर बह गये हैं। घर में रखे सामान बह गये हैं। खाने-पीने का तो कुछ बचा ही नहीं है। पीड़ितों के पास न तो रहने के लिए जगह है और न ही न ही पहनने के लिए कपड़े। ऐसे में हम मिथिला स्टूडेंट यूनियन के माध्यम से लोगों की मदद कर रहे हैं।"

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"हम अपनी टीम को दो भागों में बांट देते हैं। एक टीम प्रभावित जगहों पर रहती है तो दूसरी टीम शहर में जाकर लोगों से मदद मांगती है। जिससे जो मिलता है उसे हम जरुरतमंदों को देते हैं।" मुरारी आगे कहते हैं।

बिहार सरकार की मानें अभी भी 12 जिलों के 85 लाख से ज्यादा लोग बाढ़ से प्रभावित हैं। 127 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। मरने वालों की संख्या और बढ़ सकती है क्योंकि ज्यादातर क्षेत्रों में अभी भी पानी भरा हुआ है।

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