छह महीने सोलर पम्प बंद रखने से बेहतर है बिजली पैदा कर उसे बेचें बुंदेलखंड के किसान
छह महीने सोलर पम्प बंद रखने से बेहतर है बिजली पैदा कर उसे बेचें बुंदेलखंड के किसान

Tue, 13 Aug 2024

By Aishwarya Tripathi

बुंदेलखंड के महोबा में सौर क्रांति आने के बावज़ूद किसानों के लिए उनके सौर पम्प साल के छह महीने सफ़ेद हाथी से ज़्यादा कुछ नहीं है। लेकिन जिन मौसम में खेतों की सिंचाई में सौर पम्प इस्तेमाल नहीं होते है तब ग्रिड से जोड़कर बिजली तो पैदा की ही जा सकती है। इससे किसानों को उसके बदले पैसे भी मिल जाएंगे।

ग्रामीण भारत में कोविड-19 के बारे में जानकारी की कमी के चलते दूसरी लहर में चली गई लोगों की जान
ग्रामीण भारत में कोविड-19 के बारे में जानकारी की कमी के चलते दूसरी लहर में चली गई लोगों की जान

Tue, 13 Aug 2024

By Aishwarya Tripathi

जब भारत में कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर आई, तो रोजाना होने वाली मौतों की संख्या हजारों तक पहुंच गई थी। इसका खामियाजा ग्रामीण भारत को भी भुगतना पड़ा। ग्रामीणों और स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं दोनों के पास ही इस बीमारी के बारे में विश्वसनीय जानकारी नहीं थी। जिसने स्थिति को और भी बदतर बना दिया। उत्तर प्रदेश के ग्रामीण उन्नाव से गांव कनेक्शन की रिपोर्ट।

झोले में फिट होने वाला सौर सिंचाई पंपसेट, छोटे किसानों के लिए बना फायदे का सौदा
झोले में फिट होने वाला सौर सिंचाई पंपसेट, छोटे किसानों के लिए बना फायदे का सौदा

Tue, 13 Aug 2024

By Aishwarya Tripathi

कॉम्पैक्ट और पोर्टेबल सौर ऊर्जा पंप सेट सिंचाई को आसान बना रहे हैं। इन्हें इस्तेमाल करने वाले किसानों का कहना है कि इससे उनकी फसल की उपज पर काफी अच्छा असर पड़ा है।

बुंदेलखंड में किसानों के पलायन को रोकने में मददगार साबित हुए सोलर पंप
बुंदेलखंड में किसानों के पलायन को रोकने में मददगार साबित हुए सोलर पंप

Tue, 13 Aug 2024

By Aishwarya Tripathi

उत्तर प्रदेश के महोबा ज़िले के किसान अब पारंपरिक डीजल पंपसेटों की जगह सौर ऊर्जा से चलने वाले पंप सेटों की ओर रुख़ कर रहे हैं। ये पंपसेट उनकी फसलों को सींचने, साल में तीन फ़सल उगाने और डीज़ल के हज़ारों रुपये बचाने में मदद कर रहे हैं। एक ग्राउंड रिपोर्ट-

सोने से कम कीमती नहीं होती हैं यहाँ के मछुआरों के लिए ये मछलियाँ
सोने से कम कीमती नहीं होती हैं यहाँ के मछुआरों के लिए ये मछलियाँ

Tue, 13 Aug 2024

By Aishwarya Tripathi

सुंदरबन के सोनागर गाँव के मछुआरे एक बड़ी मछली की उम्मीद में मैंग्रोव की संकरी खाड़ियों में एक लंबी यात्रा पर निकलते हैं। 15 दिन पहले से ही तैयारियाँ शुरू हो जाती हैं।

वन अधिकार अधिनियम: एक अलग से एफआरए बजट और भूमि रिकॉर्ड अपडेट के साथ आगे बढ़ता ओडिशा
वन अधिकार अधिनियम: एक अलग से एफआरए बजट और भूमि रिकॉर्ड अपडेट के साथ आगे बढ़ता ओडिशा

Tue, 13 Aug 2024

By Aishwarya Tripathi

ओडिशा 2006 के वन अधिकार अधिनियम के कार्यान्वयन के लिए एक विशेष बजट आवंटित करने वाला देश का पहला राज्य है। इसके अलावा राज्य के राजस्व रिकॉर्ड में सामुदायिक वन अधिकारों को शामिल करने वाला ‘नयागढ़’ भारत का पहला जिला है।

इंटरनेट बना रहा है गाँव की औरतों की राह आसान,शहरों से ज़्यादा गाँवों में बढ़ रहा है इसका इस्तेमाल
इंटरनेट बना रहा है गाँव की औरतों की राह आसान,शहरों से ज़्यादा गाँवों में बढ़ रहा है इसका इस्तेमाल

Tue, 13 Aug 2024

By Aishwarya Tripathi

देश में इंटरनेट के विस्तार के साथ ही महिलाओं में भी इसका इस्तेमाल तेज़ी से बढ़ रहा है। गाँव की औरतें तो मनोरंजन और जानकारी के लिए इंटरनेट डेटा पैक का धड़ल्ले से इस्तेमाल कर रही हैं। इसी से जुड़ी है गाँव कनेक्शन की ये स्पेशल रिपोर्ट।

लंबा इंतजार: 16 सालों में वन अधिकार अधिनियम के तहत सिर्फ 50 फीसदी दावों का निपटारा किया गया
लंबा इंतजार: 16 सालों में वन अधिकार अधिनियम के तहत सिर्फ 50 फीसदी दावों का निपटारा किया गया

Tue, 13 Aug 2024

By Aishwarya Tripathi

14 दिसंबर को, राज्यसभा में जनजातीय मामलों के मंत्रालय की तरफ से पेश किए गए आंकड़ों से पता चलता है कि 2006 के अधिनियम के तहत राष्ट्रीय स्तर पर दायर कुल दावों में से सिर्फ 50 फीसदी को ही मंजूर किया गया है. उच्च जनजातीय आबादी वाले महाराष्ट्र, राजस्थान और मध्य प्रदेश में व्यक्तिगत वन अधिकारों के लिए अनुमोदन दर तो 50 प्रतिशत से भी कम है। वन अधिकार अधिनियम, 2006 में आखिर ऐसी क्या कमी है?

धार्मिक नेताओं के जरिए उन्नाव में लोगों को टीकाकरण के लिए किया जा रहा है जागरूक
धार्मिक नेताओं के जरिए उन्नाव में लोगों को टीकाकरण के लिए किया जा रहा है जागरूक

Tue, 13 Aug 2024

By Aishwarya Tripathi

उन्नाव, यूपी में सरकारी स्वास्थ्य अधिकारी, ग्रामीण समुदायों को कोविड-19 के खिलाफ टीकाकरण के लिए आगे आ रहे हैं। धार्मिक नेताओं को शामिल करके, जिला प्रशासन टीके के बारे में आशंकाओं और भ्रांतियों को दूर कर रहा है और यह प्रयास रंग भी ला रहा है।

मगरमच्छ बाघ और साँपों के बीच हर रोज़ क्यों जाती हैं सुंदरबन के गाँवों की महिलाएँ
मगरमच्छ बाघ और साँपों के बीच हर रोज़ क्यों जाती हैं सुंदरबन के गाँवों की महिलाएँ

Tue, 13 Aug 2024

By Aishwarya Tripathi

सुंदरबन के मैंग्रोव के पास के गाँवों की महिलाएँ मगरमच्छों, साँपों और यहाँ तक कि बाघों का सामना करते हुए जंगली टाइगर झींगा के सीडलिंग इकट्ठा करती हैं। उनके पति या घर के अन्य आदमी काम के सिलसिले में दूसरे राज्यों में पलायन कर चुके हैं।

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